महाशिवरात्रि
हीरे मोती छोड़ सर्प का आभूषण बनाता है तू,
देवलोक छोड़ शमशान में धुनि रमाता है तू !
स्वर्ग से गिरती गंग धार को जटे में समाता है तू,
ख़ुद पी कर ज़हर औरों को अमृत पिलाता है तू,
काम को भस्म कर राम से मिलाता है तू ,
इसीलिये तों देवों का देव महादेव कहलाता है तू!
हे आदियोगी मुझ में भी आत्म-विश्रान्ति भर दे,
हे चिदानंदरूप मुझको भी शिवाला कर दे!
शुभ महाशिवरात्रि
#आशुतोष
देवलोक छोड़ शमशान में धुनि रमाता है तू !
स्वर्ग से गिरती गंग धार को जटे में समाता है तू,
ख़ुद पी कर ज़हर औरों को अमृत पिलाता है तू,
काम को भस्म कर राम से मिलाता है तू ,
इसीलिये तों देवों का देव महादेव कहलाता है तू!
हे आदियोगी मुझ में भी आत्म-विश्रान्ति भर दे,
हे चिदानंदरूप मुझको भी शिवाला कर दे!
शुभ महाशिवरात्रि
#आशुतोष
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