दोहे -गीता सार
आगे की चिंता करे, बीते पर क्यों रोय भला हुआ होगा भला, भला यहॉँ सब होय। क्या यहाँ तुम लाये थे, खोया क्या है यहाँ पैदा तुमने क्या किया, हुआ जो नष्ट यहाँ। जो भी तुमने है लिया, इसी धरा पे लिया जो भी तुमने है दिया, इसी धरा पे दिया। आज जो तुम्हारा है, था कभी औरों का फिर तुम्हारे बाद भी, सब होए औरों का। क्यों कर तुम हो डर रहे, काहे आपा खोय आत्मा तो मरती नहीं, नाहि जन्म ही होय। परिवर्तन जिसका नियम, कहलाता संसार शाश्वत एक तू ब्रह्म है, ये गीता का सार।